Tuesday, October 11, 2016

महाभारत और 18 का रहस्य

महाभारत और 18 का रहस्य

महाभारत और 18 का अंक, यह एक शोध का विषय है कि महाभारत के युद्ध के साथ कई विषयों में 18 का ही अंक ही क्यों जुड़ा हुआ है, क्या यह महज एक संयोग है अथवा इसके पीछे गहरे रहस्य छुपे हैं।

आइए जानें महाभारत के साथ कौन कौन से रहस्य 18 के अंक के साथ जुड़े हैं-





1. अध्याय-

महाभारत ग्रंथ में कुल में 18 अध्याय हैं, जिन्हें पर्व कहा जाता है, इन पर्वों के नाम इस प्रकार हैं-

1. आदि पर्व, 
2. सभा पर्व, 
3. वन पर्व,
4. विराट वरव,
5. उद्योग पर्व,
6. भीष्म पर्व, 
7. द्रोण पर्व, 
8. अश्वमेधिक पर्व, 
9. महाप्रस्थानिक पर्व, 
10. सौप्तिक पर्व, 
11. स्त्री पर्व, 
12. शांति पर्व, 
13. अनुशाशन पर्व, 
14. मौसल पर्व, 
15. कर्ण पर्व, 
16. शल्य पर्व, 
17. स्वर्गारोहण पर्व तथा 
18. आश्रम्वासिक पर्व

2. गीता-

महाभारत युद्ध होने से पहले जब अर्जुन ने हथियार फेंक दिए तो भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था तथा श्रीमद्भगवत गीता में भी कुल 18 ही अध्याय हैं-

1. अर्जुनविषादयोग, 
2. सांख्ययोग, 
3. कर्मयोग, 
4. ज्ञानकर्मसंन्यासयोग, 
5. कर्मसंन्यासयोग, 
6. आत्मसंयमयोग, 
7. ज्ञानविज्ञानयोग,
8. अक्षरब्रह्मयोग,
9. राजविद्याराजगुह्ययोग,
10. विभूतियोग,
11. विश्वरूपदर्शनयोग,
12. भक्तियोग, 
13. क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग, 
14. गुणत्रयविभागयोग, 
15. पुरुषोत्तमयोग, 
16. दैवासुरसम्पद्विभागयोग,
17. श्रद्धात्रयविभागयोग और 
18. मोक्षसंन्यासयोग।

3. सेना-

महाभारत युद्ध में भाग लेने वाले दोनों पक्षों की कुल सेना भी 18 थी, अर्थात कौरवों और पांडवों की सेना कुल मिलाकर 18 अक्षौहिनी सेना थी जिनमें कौरवों की 11 और पांडवों की 7 अक्षौहिनी सेना थी।

इसके साथ ही हम समझते हैं कि अक्षौहिणी सेना भी 18 से कैसे संबंधित है। अक्षौहिणी सेना में-
२१,८७०(21870) रथ,
२१,८७०(21870) हाथी, 
६५, ६१०(65610) घुड़सवार एवं 
१,०९,३५०(109350) पैदल सैनिक होते थे। 

इनका अनुपात 1 रथ:1 गज:3 घुड़सवार:5 पैदल सैनिक होता था। इसके प्रत्येक भाग की संख्या के अंकों का कुल जमा करने पर भी 18 ही आता है। इसमें एक घोडे पर एक सवार बैठा होगा, हाथी पर कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है, एक पीलवान और दूसरा लडने वाला योद्धा, इसी प्रकार एक रथ में दो मनुष्य और चार घोड़े होते थे।

4. सूत्रधार-

महाभारत युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे-

पांडवों की तरफ से-
1. श्रीकृष्ण,
2. अर्जुन ,
3. युद्धिष्ठिर,
4. नकुल,
5. सहदेव,
6. विदुर,
7. भीम,
8. द्रौपदी,

कौरवों की तरफ से-
9. अश्वथामा,
10. कृपाचार्य,
11. धृतराष्ट्र,
12. कृतवर्मा,
13. दुर्योधन, 
14. दुशासन, 
15. कर्ण, 
16. शकुनि, 
17. भीष्म, 
18. द्रोण

5. पुराण-

इसके साथ ही एक बात और ध्यातव्य है कि महाभारत के रचयिता वेदव्यास जी ने कुल 18 पुराणों की रचना भी की है।

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